न्यायालय के बारे में
आजादी के बाद से ही रतलाम राज्य एक स्वतंत्र राज्य रहा है। जिला एवं सत्र न्यायालय वर्ष 1920 से लगातार कार्य कर रहा है। पर्यवेक्षक के लिए मालवा क्षेत्र के 12 राज्यों को एक उच्च न्यायालय मिला हुआ था जो सभी स्थानों का भ्रमण एवं सुनवाई करता था। उक्त न्यायालय के न्यायाधीश को "दंभी न्यायाधीश" कहा जाता था। जिनकी सीटें दरबार हॉल में थीं, लेकिन मुकदमों की सुनवाई मोती महल में होती थी। यहां उस समय के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों में से एक श्री रतन लाल को याद किया जाता है, जो धार राज्य से थे।उस समय आपराधिक साजिश और अन्य मामलों की सुनवाई के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए थे, जिनमें से एक किताब है जिसका नाम है "ऐन सिविल"। इस पुस्तक में उपरोक्त मुकदमों की सुनवाई के लिए विभिन्न नियम लिखे गए हैं, जिन पर मुकदमों की सुनवाई की गई।रियासत के समय जिला न्यायालय की इमारत का उपयोग "श्रीमाली वास" की इमारत में किया जाता था, जो एक छोटे गलियारे के रूप में थी। उसके बाद इस भवन का उपयोग सरकारी स्कूल के रूप में किया जाने लगा। वर्तमान में उक्त भवन पूरी तरह से गिर चुका है और उसके स्थान पर नया भवन खड़ा है।आजादी[...]
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